नया साल-2019

         नये साल कि शुरुआत
फिर एक साल खत्म हो गया।
ये क्या चक्कर है,हर साल यही होता है।
नया साल जो जनवरी में जोश से आता है,बारह महीने के अंदर ही बुड्ढा होकर आगे बढ़ जाता है,अपनी विरासत अगले साल को देके।
ठीक है,यही नियम है- मुझे इससे शिकायत नहीं है।परेशानी इस बात की है कि हर नए साल में नए संकल्प बनाए जाते हैं,नई उम्मीदें रखी जाती हैं।
जैसे कि वाकई में कुछ नया शुरू हो रहा है। अरे भाई नया कुछ नहीं है- सूरज फिर उगेगा और फिर ढलेगा- ये बस एक और दिन है,बाकी दिनों की तरह। मगर यह बात तो तय है कि इंसान बेवकूफ है-  इसलिए,तारीख के पलटते ही पुराने कैलेंडर को फेंकते ही, आदमी को लगता है कि कुछ पुरानी बात खत्म हुई है। और कुछ नया शुरू हो रहा है। 'नया साल,इस बेवकूफी को हम इस नाम से जानते हैं। और क्योंकि इसके आगे 'नया, शब्द जुड़ा है, हम सब चाहते हैं कि कुछ नया किया जाए। पुराना तन-मन त्याग के, नए का  संकल्प लिया जाए।
आदमी को लगता है कि कुछ पुरानी बात खत्म हुई है। और कुछ नया शुरू हो रहा है। 'नया साल,इस बेवकूफी को हम इस नाम से जानते हैं। और क्योंकि इसके आगे 'नया, शब्द जुड़ा है, हम सब चाहते हैं कि कुछ नया किया जाए। 31 दिसंबर को, पार्टी से पहले या बाद में, ये देखा जाता है कि लोग एक-दूसरे से पूछते हैं, 'सो व्हाट इज याॅर न्यू ईयर रिजोल्यूशन?'
जिसका अनुवाद इस तरह भी किया जा सकता है कि, 'तुम निहायत ही घटिया आदमी हो, जिसने अपनी पूरी जिंदगी में ढेला नहीं किया है, तो भाई अगले साल में तुम्हें क्या लगता है, तुम कौन-से तीर मार लोगे !
हालांकि, जिन महाशय से ये सवाल किया गया है, उन्हें तो यह कतई गुमान नहीं है कि बाकी लोग उन्हें इस नजर से देख रहे हैं। वो तो नए साल के लिए ऐसे उत्सुक हैं की संकल्प न हुआ, अलादीन का चिराग हो गया!
तो सबसे साधारण संकल्प क्या होते हैं नए साल के ? यह मेरी फेहरिस्त है-अनुमान के तराजू पे।
1. इस साल मैं वजन कम करूंगा/करूंगी। 2. सिगरेट तंबाकू बंद।
3. जिम शुरू करूंगा/करूंगी।
4. ये नौकरी छोड़ दूंगा।
5. इस साल मैं शादी करूंगा/करूंगी।
6. रोज शाम को वॉकिंग पर जाऊंगा/जाऊंगी।
7. गिटार बजाना सीखूंगा/सीखूंगी।
8. रोज पढाई करूंगा/करूंगी।
9. कम सोऊंगा/सोऊंगी।
10. किताबें पढूंगा/पढूंगी। वगैरह- वगैरह- वगैरह.........
मतलब समझ गए न आप। सोचने को तो कुछ भी सोच ले इंसान। इस साल में राष्ट्रपति बनूंगा या चांद पर जाऊंगा। सोचने के पैसे थोड़े ही लगते हैं। मुसीबत यह है कि संकल्प को साकार करने के लिए काम भी तो करना पड़ता है। मेहनत मशक्कत। उसके बारे में तो हमने सोचा ही न था। ख्याली पुलाव पकाए थे, तो ख्यालों में ही तो खाएंगे।
और पढ़ाई भी नहीं कर पाते हैं। और हम इस उम्मीद में होते हैं कि इस साल कुछ नया होगा चलिए फिलहाल कितना ही 2019 आपको और आपके परिवार को मुबारक हो.....!!
                 

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